कुंभ की प्रासंगिकता

                               कुंभ की प्रासंगिकता


               कुंभ हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है जिसमें करोड़ों श्रद्धालु कुंभ स्थल हरिद्वार, नासिक, उज्जैन व प्रयाग में स्नान करते हैं। कुंभ स्नान आस्था का प्रतीक है यह पौष से माघ माह के मध्य आयोजित किया जाता है। महाकुंभ 12 सालों में एक बार तथा अर्धकुंभ हर छह माह में एक बार लगता है जिसमें करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु स्नान करते है।



             कुंभ लगभग सभी धर्मों को एक साथ जोड़ने का कार्य करता है यहां हमें अनेकता में एकता का भाव देखने को मिलता है। मानो कुंभ में सारे जहां की रंग-बिरंगी तितलियां बिखरी हुई है और सभी अपना रंग बिखेर रही है। यह सब देखने के बाद हमारी एक अलग ही दुनिया बन जाती है हमारा हृदय शुद्धता से पूर्ण हो जाता है हममें एक नई ताजगी व उमंग भर आता है। 



               अब एक नजर डालते हैं कुंभ में आए श्रद्धालुओं पर कि उनके क्या विचार हैं कुम्भ को लेकर, तो कोई कहता है कि इस तृष्णा और ईर्ष्या भरी दुनिया से मेरा मोह भंग हो गया है अब मैं मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करुंगा। इस पवित्र गंगा की धरती पर मैं कुछ महीने बिताऊंगा मैं अब तक अपने लिए जिया अब दूसरों के लिए जिउंगा। मैं इस मायावी दुनिया से अपना ध्यान हटाकर ईश्वर में अपना ध्यान लगाउंगा।


                 इसी क्रम में एक महाशय कहते हैं कि मैं अपने पुरोहितो को शांति प्रदान कराने आया हूं मेरे इस गंगा में स्नान करने व उनकी अस्थियां विसर्जित करने से उनकी आत्मा को शांति मिलेगी, तो कोई कहता है कि मेरे गांव वाले कुम्भ आए तो मैं भी आ गया माघ मेला घुमने बस कुछ कपड़े, पैसे व सत्तु लिया और चल दिया झुमते हुए सब के रंग में रंगने, तो कोई कहता है कि मैं तो बड़े हनुमान जी को देखने के लिए कई साल से सोच रहा था इस बार के मौके से अरमान पुरे होंगे हनुमान मंदिर घूमूंगा, अकबर का किला देखूंगा, अक्षय वट देखूंगा, अल्फ्रेड पार्क देखूंगा, चंद्र शेखर आजाद से मिलूंगा, सिविल लाइन जाकर सुभाष चंद्र बोस से मिलूंगा। इस बार अपने भारत की धरोहर का वास्तविक प्रत्यक्ष करूंगा बस यही सोचकर झोला उठाकर चल दिया प्रयाग नगरी में।😊



             इस बार भारत सरकार ने पूरे विश्व स्तर पर खूब ढेर सारी प्रशंसाए एवं ख्यातियां बिटोरी हैं। कुम्भ के लिए केन्द्र से एक अलग बजट आवंटित किया गया है जिस बजट से पूरे कुम्भ नगर व प्रयागराज को एक दुल्हन की तरह सजा दिया गया। सरकार व प्रशासन के ये सारे कार्य सराहनिय है। आज पुरे विश्व को एक बार फिर से याद आ गया कि भारत विश्व गुरू रहा है और आगे भी रहेगा।


आपका अपना साथी
अमित बाबू
                                                       प्रयागराज   

Comments

  1. AGR AAP APNI TRF SE KOI RAY YA KOI AUR BAAT BATANA CHAHTE HAI JARUR BATAYE ..JO AAPKO ROCHAK LGA

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