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عرض المشاركات من يناير, ٢٠١٩

कुंभ की प्रासंगिकता

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                                कुंभ की प्रासंगिकता                 कुंभ हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है जिसमें करोड़ों श्रद्धालु कुंभ स्थल हरिद्वार, नासिक, उज्जैन व प्रयाग में स्नान करते हैं। कुंभ स्नान आस्था का प्रतीक है यह पौष से माघ माह के मध्य आयोजित किया जाता है। महाकुंभ 12 सालों में एक बार तथा अर्धकुंभ हर छह माह में एक बार लगता है जिसमें करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु स्नान करते है।               कुंभ लगभग सभी धर्मों को एक साथ जोड़ने का कार्य करता है यहां हमें अनेकता  में एकता का भाव देखने को मिलता है। मानो कुंभ में सारे जहां की रंग-बिरंगी तितलियां बिखरी हुई है और सभी अपना रंग बिखेर रही है। यह सब देखने के बाद हमारी एक अलग ही दुनिया बन जाती है हमारा हृदय शुद्धता से पूर्ण हो जाता है हममें एक नई ताजगी व उमंग भर आता है।                 अब एक नजर डालते हैं कुंभ में आए श्रद्धालुओं पर कि उनके क्या विचार हैं  कुम्भ को लेकर, तो कोई कहता है कि इस तृष्णा और ईर्ष्या भरी दुनिया से मेरा मोह भंग हो गया है अब मैं मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करुंगा। इस पवित्र गंगा की धरती पर मैं कुछ महीने

शुन्य से शिखर तक

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          शुन्य से शिखर तक           हम बचपन से यही सोचते हैं कि आखिर कोई चाय बेचने वाला, अखबर बेचने वाला, मोची, कंडक्टर, श्रमिक अचानक इतने महान कैसे बन जाते हैं कि उन्हें युगों- युगों तक याद रखा जाता है, तो मैंने देखा कि यह अपने कर्मो व अपने लक्ष्यो के प्रति बड़े ईमानदार होते हैं यह लोग अपने समुदाय, समुह, गरीबी का बड़ी गहराई से अध्ययन किए रहते हैं क्योंकि यह कहीं ना कहीं इसी वर्ग से आते हैं और इन्हें यही चीज इनके लक्ष्य की ओर अग्रसर करने में बड़ी भूमिका निभाती है ये लोग सफलता प्राप्ति से पहले ही समाज सेवा और कल्याणकारी कार्यो में लिप्त रहते है।                 आज हम ऐसे ही एक ईमानदार कर्मठ व्यक्ति की बात करेंगे जिनका नाम राम नाईक जी है जो महाराष्ट्र के रहने वाले हैं यह हमारे राज्य उत्तर- प्रदेश के २४वें राज्यपाल भी हैं इनके जीवन में बहुत सारे उतार चढ़ाव भी आए, जिनके कुछ बिंदुओं पर हम प्रकाश डालेंगे जैसे इनका जीवन अभावो में बीता, इसी से संबंधित कुछ तथ्यों पर प्रकाश डालेंगे।                       इनका जन्म 16 अप्रैल 1934 में मुंबई में हुआ यह अपने पिता और अपने आर्थ