कुंभ की प्रासंगिकता
कुंभ की प्रासंगिकता कुंभ हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है जिसमें करोड़ों श्रद्धालु कुंभ स्थल हरिद्वार, नासिक, उज्जैन व प्रयाग में स्नान करते हैं। कुंभ स्नान आस्था का प्रतीक है यह पौष से माघ माह के मध्य आयोजित किया जाता है। महाकुंभ 12 सालों में एक बार तथा अर्धकुंभ हर छह माह में एक बार लगता है जिसमें करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु स्नान करते है। कुंभ लगभग सभी धर्मों को एक साथ जोड़ने का कार्य करता है यहां हमें अनेकता में एकता का भाव देखने को मिलता है। मानो कुंभ में सारे जहां की रंग-बिरंगी तितलियां बिखरी हुई है और सभी अपना रंग बिखेर रही है। यह सब देखने के बाद हमारी एक अलग ही दुनिया बन जाती है हमारा हृदय शुद्धता से पूर्ण हो जाता है हममें एक नई ताजगी व उमंग भर आता है। अब एक नजर डालते हैं कुंभ में आए श्रद्धालुओं पर कि उनके क्या विचार हैं कुम्भ को लेकर, तो कोई कहता है कि इस तृष्णा और ईर्ष्या भरी दुनिया से मेरा मोह भंग हो गया है अब मैं मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करुंगा। इस पवित्र गंगा की धरती पर मैं कुछ महीने