स्वामी विवेकानंद हम सभी विश्वबंधुत्व की बात सुनते हैं और यह भी जानते हैं कि विभिन्न समाजों में उसका प्रचार करने के लिए कितना उत्साह दिखाया जाता है। इस संदर्भ में एक पुरानी कहानी है। भारतवर्ष में शराब पीना बहुत बुरा माना जाता है। दो भाई थे। एक रात उन दोनों ने छिपकर शराब पीने का विचार किया। बगल के कमरे में उनके चाचा सो रहे थे, जो कि एक बड़े ही सदाचारी व्यक्ति थे। इसीलिए शराब पीना शुरु करने के पहले दोनों ने मिलकर निर्णय लिया, 'हम लोगों को जरा भी आवाज नहीं करनी है, नहीं तो चाचाजी जाग जाएंगे। वे लोग शराब पीते हुए बार-बार कहते जा रहे थे, 'चुप रहो, नहीं तो चाचाजी जाग जाएंगे। इस प्रकार वे एक-दूसरे को चुप कराते रहे। धीरे-धीरे जब उनकी आवाज बढ़ी, तो चाचाजी की नींद खुल गई। वे उस कमरे में आए और उन्होंने सब कुछ देख लिया। हम लोग भी ठीक इन्हीं मतवालों की तरह ही 'विश्व बन्धुत्व ह-कहकर शोर मचाते रहते हैं। कहते हैं, 'हम सभी समान हैं, इसीलिए हमें एक सम्प्रदाय के रूप में सं